Wednesday 12 August 2020

एक चराग़े-तन्‍हा हैं, वीराने में जलते हैं

 बरसों से हम अपने ही काशाने में जलते हैं                 

एक चराग़े-तन्‍हा हैं, वीराने में जलते हैं.

किस मस्‍ती से महफ़िल में जामो-मीना चलते हैं

हम ख़ामोश तने-तन्‍हा मयख़ाने में जलते हैं.

दिल की लगी कुछ ऐसी है बुझती नहीं बुझाने से

कितने शोले सीने के, तहख़ाने में जलते हैं.

सदियां गुज़रीं हम ऐ 'नाज़' इतिहासों में रौशन हैं

यानी नामे-औरत से हर ख़ाने में जलते हैं.