तुम्हारे वास्ते ख़ाली है घर मेरी मुहब्बत का
तुम्हें पहलू में लाएगा असर मेरी मुहब्बत का
बिला शक इसके फूलों में मेरी यादों की सुर्खी है
सींचा है ख़ून से दिल के शजर मेरी मुहब्बत का
मकाने दिल में लाखों आरज़ुओं का ज़ख़ीरा है
तुम आकर लूट लेना मालो ज़र मेरी मुहब्बत का
कभी ख़ारों ने सहराओं में चूमे हैं क़दम मेरे
नहीं आसान गुज़रा है सफ़र मेरी मुहब्बत का
मुहब्बत से खिला है 'नाज़' अपने दिल का हर ग़ुंचा
वफ़ाओं से महकता है नगर मेरी मुहब्बत का ।।
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