Thursday 18 February 2021

 तुम्‍हारे वास्‍ते ख़ाली है घर मेरी मुहब्‍बत का 

तुम्‍हें पहलू में लाएगा असर मेरी मुहब्‍बत का 

बिला शक इसके फूलों में मेरी यादों की सुर्खी है 

सींचा है ख़ून से दिल के शजर मेरी मुहब्‍बत का 

मकाने दिल में लाखों आरज़ुओं का ज़ख़ीरा है

तुम आकर लूट लेना मालो ज़र मेरी मुहब्‍बत का 

कभी ख़ारों ने सहराओं में चूमे हैं क़दम मेरे 

नहीं आसान गुज़रा है सफ़र मेरी मुहब्‍बत का

मुहब्‍बत से खिला है 'नाज़' अपने दिल का हर ग़ुंचा

वफ़ाओं से महकता है नगर मेरी मुहब्‍बत का ।। 

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